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IGNOU MHD-15 - Hindi Upanyas-2

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Rating: 5

हिंदी उपन्यास-2

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IGNOU MHD-15 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title हिंदी उपन्यास-2
  • Language(s)
  • Code MHD-15
  • Subject Hindi
  • Degree(s) MA
  • Course Optional Courses

IGNOU MHD-15 Hindi Topics Covered

Block 1 - झूठा-सच

  • Unit 1 - यशपाल का उपन्यास साहित्य और 'झूठा सुच'
  • Unit 2 - देश का विभाजन और 'झूठा सुच'
  • Unit 3 - देश का भविष्य और 'झूठा सुच'
  • Unit 4 - औपन्यासिक महाकाव्य के रूप में 'झूठा सच'

Block 2 - जि़न्दगीनामा

  • Unit 1 - कृष्णा सोबती का कथा-साहित्य और 'ज़िन्दगीनामा'
  • Unit 2 - 'ज़िन्दगीनामा': उपन्यास की अंतर्वस्तु और कथा-शिल्प
  • Unit 3 - 'ज़िन्दगीनामा': प्रमुख पात्र एवं चरित्र चित्रण
  • Unit 4 - परिवेश और भाषा

Block 3 - सूरज का सातवाँ घोड़ा

  • Unit 1 - धर्मवीर भारती का कथा साहित्य और 'सूरज का सातवाँ घोड़ा'
  • Unit 2 - औपन्यासिक शिल्प: 'सूरज का सातवाँ घोड़ा'
  • Unit 3 - सूरज का सातवाँ घोड़ा: चरित्र-सृष्टी
  • Unit 4 - भारती की लेखकीय दृष्टि

Block 4 - राग दरबारी

  • Unit 1 - स्वातंत्र्योत्तर भारत और 'राग दरबारी'
  • Unit 2 - 'राग दरबारी' में व्यंग्य
  • Unit 3 - 'राग दरबारी' की अंतर्वस्तु, संरचना-शिल्प और उसकी भाषा
  • Unit 4 - राग दरबारी' के पात्र
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IGNOU MHD-15 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions

1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए: (क) दौलू मामा, तुम लाहौर की कितनी गलियों के कितने बच्चों के मामा थे। तुम उम्र भर रोजाना सैकड़ों बच्चों को हँसा हँसा कर आज उन्हें फूट-फूट कर रोते छोड़ गये हो। इन भोले बच्चों का खिलौना किस जालिम ने छीन लिया? मामा किसका दुश्मन था? मामा न यूनियनिस्ट मंत्रिमंडल से मतलब रखता था, न लीग की वजारत से । वह तो मानव था, केवल निरीह मानव उसका खून मानवता का खून है। मानवता के खून की इस प्यास को कौन भड़का रहा है? (ख) मत देखो / दौड़ चलो / छोड़ चलो इस पानी को / इस धरती को जिसने हर मौसम / हर बहार में सूरमाओं की पनीरी उगाई थी जिसने / हाड़ मांस के इंसानों में मेहनत करने / और जिंदगी को जी भर कर प्यार करने की ललक जगाई थी / लौ लगाई थी। (ग) बस, माणिक मुल्ला भी तुम्हारा ध्यान उस अथाह पानी की ओर दिला रहे हैं जहाँ मौत है, अँधेरा है, कीचड़ है, गन्दगी है या तो दूसरा रास्ता बनाओ नही तो डूब जाओ। लेकिन आधी इंच ऊपर जमी बरफ़ कुछ काम न देगी। एक ओर नने लोगों का यह रोमानी दृष्टिकोण, यह भावुकता, दूसरी ओर बूढ़ों का यह थोथा आदर्श और झूठी अवैज्ञानिक मर्यादा सिर्फ आधी इंच बरफ है, जिसने पानी की खूँखार गहराई को छिपा रखा है। (घ) हमारे इतिहास में- चाहे युद्धकाल रहा हो, या शांतिकाल - राजमहलों से लेकर खलिहानों तक गुटबंदी द्वारा 'मैं' को 'तू' और 'तू' को 'मैं' बनाने की शानदार परंपरा रही है। अंग्रेजी राज में अंग्रेजों को बाहर भगाने के झंझट में कुछ दिनों के लिए हम उसे भूल गए थे। आजादी मिलने के बाद अपनी और परंपराओं के साथ इसको भी हमने बढ़ावा दिया है। अब हम गुटबंटी को तू-तू मैं-मैं, लात-जूता, साहित्य और कला आदि सभी पद्धतियों से आगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारी सांस्कृतिक आस्था है। 2. 'झूठा सच' के आधार पर जयदेव पुरी का चरित्र-चित्रण कीजिए । 3. 'जिन्दगीनामा' की भाषा और शैली की विशेषताएँ बताइए । 4. 'सरूज का सातवाँ घोड़ा के औपन्यासिक शिल्प पर प्रकाश डालिए । 5. 'राग दरबारी के विशिष्ट चरित्रों की चारित्रिक विशेषताओं की चर्चा कीजिए । 6. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए: (क) 'झूठा सच' की भाषा (ख) ज़िन्दगीनामा' की अंतर्वस्तु (ग) माणिक मुल्ला का चरित्र (घ) 'रागदरबारी' में निहित जीवन-दृष्टि

IGNOU MHD-15 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions

1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए: (क). आजकल के नौजवानों में टेलेंट की कमी ही नहीं, इट इज देयर लेकिन तपस्या नहीं है। वे सीखना नहीं चाहते । एकदम नाम, ओहदा और दौलत चाहते हैं। अगर आप ने कभी मोटर नहीं चलाई तो आप मोटर कैसे चला सकेंगे! जरूर एक्सीडेंट करेंगे, सर्टनली करेंगे! मोटर तो मामूली चीज़ है। जर्नलिज्म सियासत का जहाज है। जर्नलिस्ट चाहे तो स्टेट को बचा ले, चाहे तो डूबो दे। कितनी बड़ी जिम्मेदारी है।" कशिश जी ने जिम्मेवारी के बोझ से दोनों बाहें फैला कर गहरी सांस ली। (ख) कहा "राबी से सावन सुन जाओ! गा री गा, वह दोहरा गा! "सावन माह सुहावना जो धरती बूँद पई अनहद बरसे मेघला जो मन की तृप्त गई मल्हारौँ सोहन सारे सावन दूती दूत लगे उठ जावन नी घर खेलन कुड़ियाँगावन, मैं घर रंग-रंगीले आवन । मेरीयाँ आसाँ रब्ब पुजाइयाँ, ताँ मैं उन संग अँखीया लाइयाँ सँइया देन मुबारिक आइयाँ शाह इनायत अंग लगाइयाँ । भादो भावे सखी, जो पल होए मिलाप जो घट देखेँ खोल के घटि घटि के विच आप।" गाते-गाते राबयाँ का स्वर थर्राने लगा। आँखें भर आई। ग). इस रूमानी प्रेम का महत्व है, पर मुसीबत यह है कि वह कच्चे मन का प्यार होता है, उसमें सपने, इन्द्रधनुष और फूल तो काफी मिकदार में होते हैं पर वह साहस और परिपक्वता नहीं होती जो इन सपनों और फूलों को स्वस्थ सामाजिक संबंध में बदल सके। नतीजा यह होता है कि थोड़े दिन बाद यह सब मन से उसी तरह गायब हो जाता है जैसे बादल की छाँह । आखिर हम हवा में तो नहीं रहते हैं और जो भी भावना हमारे सामाजिक जीवन की खाद नहीं बन पाती, जिन्दगी उसे झाड़-झंखाड़ की तरह उखाड़ फेंकती है। (घ) अब जरूरत पड़ने पर रातोंरात वे अपने राजनीतिक गुट में सैंकड़ों सदस्य भरती करा देते थे। पहले भी वे जनता की सेवा जज की इजलास में जूरी और असेसर बनकर, दीवानी के मुकदमों में जायदादों के सिपुर्ददार होकर और गाँव के ज़मींदारों में लम्बरदार के रूप में करते थे। अब वे कोऑपरेटिव यूनियन के मैनेजिंग डाइरेक्टर और कॉलेज के मैनेजर थे। वास्तव में वे इन पदों पर काम नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्हें पदों का लालच न था । पर उस क्षेत्र में ज़िम्मेदारी के इन कामों को निभानेवाला कोई आदमी ही न था और वहाँ जितने नवयुवक थे, वे पूरे देश के नवयुवकों की तरह निकम्मे थे, इसलिए उन्हें बुढ़ापे में इन पदों को सँभालना पड़ा था । 2. यशपाल के उपन्यास साहित्य का परिचय दीजिए । 3. कृष्णा सोबती के कथा साहित्य पर प्रकाश डालिए । 4. माणिक मुल्ला की चारित्रिक विशिष्टताओं पर विचार कीजिए । 5. राग दरबारी की भाषागत विशेषताएँ बताइए । 6. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए: (क) 'झूठा सच का महत्व (ख) जिंदगीनामा' में परिवेश (ग) सत्ती' का चरित्र (घ) 'रंगनाथ' और 'रुप्पन'
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