IGNOU MHD-02 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions
1. समाज सुधार की दृष्टि से भारतेंदु की कविताओं के महत्त्व पर प्रकाश डालिए ।
2. "उर्मिला जी को गुप्त जी ने पुनःजीवित किया है इस कथन की समीक्षा कीजिए।
3. "वेदना महादेवी के काव्य का स्थायी भाव है।" इस कथन की व्याख्या करें।
4. दिनकर के काव्य में सौंदर्य और प्रेम का स्वर मुखरित हुआ है, सोदाहरण विवेचना कीजिए।
5. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
(क) रोवहु सब मिलि के आवहु भारत भाई।
हा हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई ।।
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो
सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ।।
सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो ।।
अब सबके पीछे सोई परत लखाई।
हा हा भारत दुर्दशा न देखी जाई ।।
(ख) दुःख की पिछली रजनी बीच
विकसता सुख का नवल प्रभात:
एक परदा यह झीना नील
छिपाये है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,
जगत की ज्वालाओं का मूल
ईश का वह रहस्य वरदान
कभी मत इसको जाओ भूल
(ग) हमारे निज सुख, दुख निःश्वास
तुम्हें केवल परिहास,
तुम्हारी ही विधि पर विश्वास
हमारा चार आश्वास
आये अनंत हृत्कंप ! तुम्हारा अविरत स्पंदन
सृष्टि शिराओं में सञ्चारित करता जीवन
खोल जगत के शत-शत नक्षत्रों से लोचन
भेदन करते अहंकार तुम जग का क्षण-क्षण
सत्य तुम्हारी राज यष्टि, सम्मुख नत त्रिभुवन,
भूप अकिंचन
अटल शास्ति नित करते पालन !
IGNOU MHD-02 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions
1. भारतेंदु की कविताओं में नवजागरण और राष्ट्रीय चेतना का समुचित विकास हुआ है, इस कथन का सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
2. छायावादी कविता में निराला के महत्त्व को रेखांकित कीजिए।
3. नागार्जुन के काव्य में अंतर्निहित प्रगतिवादी जीवनबोध पर प्रकाश डालिए।
4. मुक्तिबोध की काव्य भाषा का वैशिष्ट्य बताइए।
5. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
(क) चर्चा हमारी भी कभी संसार में सर्वत्र थी,
वह सदगुणों की कीर्ति मानो एक और कलत्र थी।
इस दुर्दशा का स्वप्न में भी क्या हमें कुछ ध्यान था?
क्या इस पतन ही को हमारा वह अतुल उत्थान था?
उन्नत रहा होगा कभी जो हो रहा अवनत अभी,
जो हो रहा उन्नत अभी, अवनत रहा होगा कभी।
हँसते प्रथम जो पद्य हैं, तम-पंक में फँसते वहीं,
मुरझे पड़े रहते कुमुद जी अत में हसत वही।।
(ख)
पशु नहीं, वीर तुम.
समर-शूर क्रूर नहीं,
काल-चक्र में दबे
आज तुम राजकुँवर! - समर-सरताज
पर, क्या है.
सब माया है - माया है,
मुक्त हो सदा ही तुम.
बाधा-विहीन बन्ध छन्द ज्यों,
डूबे आनन्द में सच्चिदानन्द रूप।
महामन्त्र ऋषियों का
अणुओं-परमाणुओं में फूंका हुआ।
(ग) यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा?
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृती लायेगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा।
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा।
है गर्व भरा मदमाता, पर इस को भी पंक्ति को दे दो।
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