IGNOU MHD-10 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions
1. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) लाडली को काकी से अत्यंत प्रेम था। बेचारी भोली लड़की थी। बाल-विनोद और चंचलता की उसमें गंध तक न थी। दोनों बार जब उसके माता-पिता ने काकी को निर्द्धता से घसीटा तो लाडली का हृदय ऐंठ कर रह गया। वह झुंझला रही थी कि यह लोग काकी को क्यों बहुत-सी पुड़ियाँ नहीं दे देते। क्या मेहमान सब की सब खा जायेंगे? और यदि काकी ने मेहमानों के पहले खा लिया तो क्या बिगड़ जाएगा? वह काकी के पास जा कर उन्हें धैर्य देना चाहती थी, परंतु माता के भय से न जाती थी। उसने अपने हिस्से की पूरियाँ बिल्कुल न खायी थीं। अपनी गुड़िया की पिटारी में बन्द कर रक्खी थी। उन पूड़ियों को काकी के पास ले जाना चाहती थी। उसका हृदय अधीर हो रहा था! बूढ़ी काकी मेरी बात सुनते ही उठ बैठेंगी, पूरियाँ देख कर प्रसन्न होंगी ! मुझे खूब प्यार करेगी?
(ख) पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मी जी पर अखंड विश्वास था। वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या, स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है। उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह कैसे चाहती हैं नचाती है। लेटे ही लेटे गर्व से बोले चलो हम आते हैं। यह कह कर पंडित जी ने बड़ी निश्चिंता से पान के बीड़े लगा कर खाये। फिर लिहाफ ओढ़े हुए दरोगा के पास आ कर बोले, बाबू जी आशीर्वाद् कहिए. हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हुआ कि गाड़ियाँ रोक दी गयीं। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी कृपा-दृष्टि रहनी चाहिए।
(ग) क्रिया के पश्चात् प्रतिक्रिया नैसर्गिक नियम है। शंकर साल भर एक तपस्या करने पर भी जब ऋण से मुक्त होने में सफल न हो सका तो उसका संयम निराशा के रूप में परिणत हो गया। उसने समझ लिया कि जब इतना कष्ट सहने पर भी साल भर में साठ रुपये से अधिक न जमा कर सका तो अब और कौन सा उपाय है जिसके द्वारा इसके दूने रुपये जमा हों। जब सिर पर ऋण का बोझ ही लादना है तो क्या मन भर का और क्या सवा मन का उसका उत्साह क्षीण हो गया, मिहनत से घृणा हो गयी। आशा उत्साह की जननी है, आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है। शंकर आशा-हीन होकर उदासीन हो गया ।
2. प्रेमचंद की कहानियों में अभिव्यक्त राष्ट्रवाद को स्पष्ट कीजिए ।
3. प्रेमचंद किसान समस्या को किस प्रकार देखते थे? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए ।
4. आलोचकों की दृष्टि में प्रेमचंद विषय पर एक निबंध लिखिए ।
5. 'गुल्ली डंडा' कहानी का विश्लेषण करते हुए उसमें अभिव्यक्त जीवन मूल्य को रेखांकित कीजिए।
6. सुजान भगत कहानी का विश्लेषण करते हुए उसका मंतव्य स्पष्ट कीजिए ।
IGNOU MHD-10 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions
1. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) जब वे सचेत हुई तो किसी की जरा सी आहट न मिलती थी। समझी कि सब लोग खा-पी कर सो गये और उनके साथ मेरी तकदीर भी सो गयी। रात कैसे कटेगी? राम! क्या खाऊँ? पेट में अग्नि धधक रही है? हाँ किसी ने मेरी सुधि न ली! क्या मेरा पेट काटने से धन जुड़ जाएगा? इन लोगों को इतनी भी दया नहीं आती कि न जाने बुढिया कब मर जाए? उसका जी क्यों दुखावे? मैं पेट की रोटियाँ ही खाती हूँ कि और कुछ? इस पर यह हाल। मैं अंधी? अपाहिज ठहरी, न कुछ सुनुं न बूझं। यदि आँगन में चली गयी तो क्या बुद्धिराम से इतना कहते न बनता था कि काकी अभी लोग खा रहे हैं, फिर आना। मुझे घसीटा पटका। उन्हीं पूड़ियों के लिए रूपा ने सबके सामने गालियां दीं। उन्हीं पूड़ियों के लिए इतनी दुर्गति करने पर भी उनका पत्थर का कलेजा न पसीजा। सबको खिलाया, मेरी बात तक न पूछी। जब तब ही न दीं, अब क्या देंगे?
(ख) रूपमणि ने आवेश में कहा - अगर स्वराज्य आने पर भी सम्पत्ति का यही प्रभुत्व रहे और पढ़ा-लिखा समाज यों ही स्वार्थान्ध बना रहे, तो मैं कहूँगी, ऐसे स्वराज्य का न आना ही अच्छा। अंग्रेजी महाजनों की धन-लोलुपता और शिक्षितों का स्वहित ही आज हमें पीसे डाल रहा है। जिन बुराइयों को दूर करने के लिए आज हम प्राणों को हथेली पर लिए हुए हैं. उन्ही बुराइयों को क्या प्रजा इसलिए सिर चढ़ाएगी कि ये विदेशी नहीं, स्वदेशी है? कम से कम मेरे लिए तो स्वराज्य का यह अर्थ नहीं है कि जॉन की जगह गोविन्द बैठ जाएँ। मैं समाज की ऐसी व्यवस्था देखना चाहती हूँ, जहाँ कम-से-कम विषमता को आश्रय न मिल सके।
(ग) दुखी अपने होश में न था। न-जाने कौन-सी गुप्तशक्ति उसके हाथों को चला रही थी। थकान, भूख, कमजोरी सब मानो भाग गई। उसे अपने बाहुबल पर स्वयं आश्चर्य हो रहा था। एक-एक चोट वज़ की तरह पड़ती थी। आध घण्टे तक वह इसी उन्माद की दशा में हाथ चलाता रहा, यहाँ तक कि लकड़ी बीच से फट गई - और दुखी के हाथ से कुल्हाड़ी छूट कर गिर पड़ी। इसके साथ ही वह भी चक्कर खाकर गिर पड़ा। भूखा, प्यासा, थका हुआ शरीर जवाब दे गया।
2. प्रेमचंद की कहानियों में निहित राष्ट्रीय चेतना पर विचार कीजिए।
3. प्रेमचंद की कहानियाँ जाति उन्मूलन का उद्घोष करती हैं इस कथन की समीक्षा कीजिए।
4. प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
5. नमक का दरोगा' कहानी की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
6. 'सवा सेर गेहूँ' कहानी के आधार पर प्रेमचंद की व्यंग्य दृष्टि पर विचार कीजिए।
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