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IGNOU MHD-24 - Madhyakalin Kavita-2

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Rating: 4.4

मध्यकालीन कविता-2

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IGNOU MHD-24 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title मध्यकालीन कविता-2
  • Language(s) Hindi
  • Code MHD-24
  • Subject Hindi
  • Degree(s) MA
  • Course Optional Courses

IGNOU MHD-24 Hindi Topics Covered

Block 1 - मध्ययुगीनता की अवधारणा

  • Unit 1 - मध्ययुगीनता की अवधारणा: रीतिकाल के सन्दर्भ में
  • Unit 2 - रीतिकाव्य संबंधी विविध दृष्टिकोण

Block 2 - रहीम और केशव

  • Unit 1 - नीतिकाव्य परंपरा और रहीम
  • Unit 2 - रहीम के काव्य की अंतर्वस्तु, भाषा और शिल्प
  • Unit 3 - रीतिकाव्य परंपरा और केशवदास
  • Unit 4 - केशवदास: आचार्यत्व एवं कवित्व
  • Unit 5 - हिंदी आलोचना में रहीम और केशवदास

Block 3 - मतिराम और देव

  • Unit 1 - मतिराम के काव्य के श्रृंगारिकता
  • Unit 2 - मतिराम के काव्य-कला
  • Unit 3 - देव की कविता
  • Unit 4 - नायिका-भेद की परमपरा और देव
  • Unit 5 - हिंदी आलोचना में मतिराम और देव
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IGNOU MHD-24 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions

1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : (क) खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर प्रीति मदपान । रहिमन दाबे ना दबें, जानत सकल जहान ।। (ख) मूलन ही की जहाँ अधोगति केशव गाइय । होम हुताशन धूम नगर एकै मलिनाइय ।। दुर्गति दुर्गति ही जु कुटिल गति सरितन ही में । श्रीफल को अभिलाष प्रगट कवि कुल के जीमें ।। (ग) मोर - पखा मतिराम किरीट मैं कंठ बनी बनमाल सुहाई । मोहन की मुसकानि मनोहर, कुंडल डोलनि मैं छवि छाई ।। लोचन लोल बिसाल बिलोकनि को न बिलोकि भयो बस माई । वा मुख की मधुराई कहा कहाँ ? मीठी लगै अँखियान - लुनाई ।। (घ) सांसन ही सों समीर गयो, अरु आंसुन ही सब नीर गयो ढरि । तेज गयो गुन लै अपनो, अरु भूमि गई तन की तनुता करि ।। देव जिये मिलिबेही की आस, कि आसहु पास अकास रह्यो भरि । जा दिन ते मुख फेरि, हरे हंसि, हेरि, हियो जु लियो हरि जू हरि ।। 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक का लगभग 500 शब्दों में) दीजिए: (i) नीतिकाव्य परंपरा का परिचय दीजिए। (ii) 'देव' की रचनाओं का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए । (iii) 'केशवदास' के काव्य- - वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए । 3. निम्नलिखित प्रत्येक विषय पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए । (i) बेनी प्रवीन (ii) मतिराम के काव्य में प्रकृति वर्णन (iii) 'रहीम का परवर्ती कवियों पर प्रभाव

IGNOU MHD-24 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions

1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : (क) गरज आपनी आप सो, रहिमन कही न जाय । जैसे कुल की कुल बधू पर घर जात लजाय । । (ख) दीरघ दरीनि बसैं केसवदास केसरी ज्यों, केसरो कों देखि बनकरी ज्यों कंपत हैं। बासर की सम्पदा उलूक ज्यों न चितवत चकवा ज्यों चंद चितै चौगुनो चंपत हैं। केका सुनि ब्याल ज्यों बिलात जात घनस्याम घननि की घोरनि जवासे ज्यों तपत हैं । भौंर ज्यो भंवत बन जोगी ज्यों जगत निसि साकत ज्यो स्याम नाम तेरोई जपत हैं। (ग) राई लोन वारति, गुराई देखि अंगन की, दुरै न दुराईयै भुराइ सो भिरति है । ज्यों ज्यों सुघराई सों न उधरन देति त्यों त्यों सुंदरि सुघर, घर घेरी न घिरति है ।। निठुर डिठौना दीने नीठि निकसन कहै, डीठि लागिबे को डर पीठि दै गिरति है; जिन जिन ओर, चित चोर चितवति, त्योंही तिन तिन ओर, तिन तोरति फिरति है ।। (घ) प्रीतम आए प्रभात प्रिया- घर राति रमैं रति - चिह्न लिए हीं । बैठि रही पलका पर सुंदरि नैन नवायकें, धीर धरें हीं । बांह गहैं 'मतिराम' कहैं, न रही रिस मानिनी के हठ के हीं । बोली न बोल कछू, सतराय कें, भौंह चढ़ाय तकी तिरछौंहीं ।। 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक का लगभग 500 शब्दों में) दीजिए : (i) रहीम की काव्यभाषा पर प्रकाश डालिए । (ii) मतिराम के काव्य में अभिव्यक्त प्रकृति वर्णन का सोदाहरण विवेचन कीजिए । (iii) हिंदी आलोचना में मतिराम' पर निबंध लिखिए । 3. निम्नलिखित प्रत्येक विषय पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए: (i) रसलीन (ii) मिश्रबंधु विनोद (iii) केशवदास का आचार्यत्व
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