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IGNOU BHDC-112 - Hindi Nibandh aur Anya Gaddh Vidhayen

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हिंदी निबंध और अन्य गद्य विधाएँ

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IGNOU BHDC-112 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title हिंदी निबंध और अन्य गद्य विधाएँ
  • Language(s)
  • Code BHDC-112
  • Subject Hindi
  • Degree(s) BA (Honours), BAHDH
  • Course Core Courses (CC)

IGNOU BHDC-112 Hindi Topics Covered

Block 1 - हिंदी निबंध

  • Unit 1 - निबंधः उद्भव एवं विकास
  • Unit 2 - मजदूरी और प्रेम (अध्यापक पूर्ण सिंह)
  • Unit 3 - करुणाः आचार्य रामचंद्र शुक्ल

Block 2 - हिंदी ललित निबंध

  • Unit 1 - ललित निबंधः उद्भव, विकास और स्वरूप
  • Unit 2 - देवदारु (आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी)
  • Unit 3 - मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (विद्यानिवास मिश्र)
  • Unit 4 - आम रास्ता नहीं है (विवेकी राय)

Block 3 - गद्य साहित्य और अन्य विधाएँ

  • Unit 1 - महाकवि जयशंकर प्रसाद - शिवपूजन सहाय (संस्मरण)
  • Unit 2 - रजिया - रामवृक्ष बेनीपुरी (रेखाचित्र)
  • Unit 3 - तुम्हारी स्मृति - माखनलाल चतुर्वेदी (संस्मरण)
  • Unit 4 - ये हैं प्रोफेसर शशांक - विष्णुकांत शास्त्री (आत्मकथात्मक निबंध)
  • Unit 5 - गिल्लू - महादेवी वर्मा (रेखाचित्र)
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IGNOU BHDC-112 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions

खंड- 1 निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 1. हिंदी निबंध का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए । 2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या लिखिए: (क) "मनुष्य के हाथ से ही ईश्वर के दर्शन कराने वाले निकलते हैं। बिना काम, बिना मजदूरी, बिना हाथ के कला-कौशल के विचार और चिंतन किस काम के सभी देशों के इतिहासों से सिद्ध है कि निकम्मे पादरियों, मौलवियों, पंडितों और साधुओं का दान के अन्न पर पला हुआ ईश्वर-चिंतन, अंत में पाप, आलस्य और भ्रष्टाचार में परिवर्तित हो जाता है। जिन देशों में हाथ और मुँह पर मजदूरी की धूल नहीं पड़ने पाती वे धर्म और कला - कौशल में कभी उन्नति नहीं कर सकते। पद्यासन निकम्मे सिद्ध हो चुके हैं।" (ख) "मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौसल्याओं की ओर, लाखों-करोड़ों कौसल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सब के राम वन में निर्वासित हैं। पर क्या बात है कि मुकुट अभी भी उनके माथे पर बँधा है और उसी के भीगने की इतना चिंता है? (ग) "हृदय के भीतर जलनेवाली विरहाग्नि ने उसे किसी काम का नहीं छोड़ा। हे भगवान, तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकते कि सारे गाँव के समान इस बालिका को भी चंद्रमा उतना ही शीतल लगे जितना औरों को लगता है! अर्थात् विरहिणी की दारूण - व्यथा अब सब के चित की सामान्य अनुभूति के साथ ताल मिलाकर चलने लगी। पागल का 'लगना' एक का लगना होता है, कवि का लगना सबको लगने लगता है। बात उलट कर कही जाय तो इस प्रकार होगी जिसका लगना सबको लगे वह कवि है, जिसका लगना सिर्फ उसे ही लगे, औरों को नहीं, वह पागल लगने लगने में भी भेद है। जो सबको लगे, वह अर्थ है, जो एक को ही लगे, वह अनर्थ है । अर्थ सामाजिक होता है।" खंड-2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए। 3. निबंध से क्या आशय है? इसकी विशेषताएँ लिखिए । 4. 'करुणा' निबंध का प्रतिपाद्य लिखिए। 5. 'रजिया' रेखाचित्र का सारांश लिखिए । 6. आम रास्ता नहीं है के महत्व पर प्रकाश डालिए । खंड-3 7. महाकवि जयशंकर प्रसाद 'संस्मरण के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए । 8. 'गिल्लू' रेखाचित्र का प्रतिपाद्य बताइए । 9. ये हैं प्रोफेसर शशांक का कथासार लिखिए।

IGNOU BHDC-112 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions

खंड-1 निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। 1. हिंदी निबंध का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए। 2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या लिखिए : (क) "हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं। हल चलाने वाले अपने वन किया करते हैं। खेत उनकी हवनशाला है। उनके हवनकुंड की ज्वाला की किरणें चावल के लंबे और सफेद दानों के रूप में निकलती है। गेहूँ के लाल-लाल दाने इस अग्नि की चिनगारियों की डालियों-सी हैं। मैं जब कभी अनार के फूल और फल देखता हूँ तब मुझे बाग के माली का रुधिर याद आ जाता है। उसकी मेहनत के कण जीमन में गिरकर उगे है और हवा तथा प्रकाश की सहायता से मीठे फलों के रूप में नजर आ रहे हैं। किसान मुझे अन्न में, फूल में, फल में आहुति हुआ सा दिखाई पड़ता है।" (ख) "दुख की श्रेणी में प्रवृत्ति के विचार से करुणा का उलटा क्रोध है। क्रोध जिसके प्रति उत्पन्न होती है उसकी हानि की चेष्टा की जाती है। करुणा जिसके प्रति उत्पन्न होता है उसकी भलाई का उद्योग किया जाता है। किसी पर प्रसन्न होकर भी लोग उसकी भलाई करते हैं। इस प्रकार पात्र की भलाई के उत्तेजना दुःख और आनंद दोनों ही श्रेणियों में रखी गई है। (ग) "जिसका ऐश्वर्य से अभिषेक हो रहा था, वह निर्वासित हो गया। उत्कर्ष की ओर उन्मुख समष्टि का चैतन्य अपने ही घर से बाहर कर दिया गया, उत्कर्ष की मनुष्य की ऊध्वोन्मुख चेतना की यही कीमत सनातन काल से अदा की जाती रही है। इसीलिए जब कीमत अदा कर ही दी गयी, तो उत्कर्ष कम से कम सुरक्षित रहे, यह चिंता स्वाभाविक हो जाती है।" खंड-2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए। 3. ललित निबंध से क्या आशय है, इसकी विशेषताएँ लिखिए। 4. देवदारु निबंध का प्रतिपाद्य लिखिए। 5. 'मेरे राम का मुकुट भींग रहा है का सारांश लिखिए। 6. 'आम रास्ता नहीं है, यह किस विधा का है? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए। खंड-3 7. महाकवि जयशंकर प्रसाद 'संस्मरण' के प्रमुख कथा का भाव क्या है. लिखिए। 8. तुम्हारी स्मृति संस्मरण का प्रतिपाद्य बताइए। 9. 'गिल्लू अथवा 'ये है प्रोफेसर शशांक का कथासार लिखिए।
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