IGNOU BHDC-110 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions
खंड-1
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।
1. "लड़ाई के समय चाँद निकल आया था। ऐसा चाँद जिसके प्रकाश से संस्कृत कवियों का दिया हुआ 'क्षयी' नाम सार्थक होता है। और हवा ऐसी चल रही थी, जैसे कि वाणभट्ट की भाषा में 'दंतवीणोपदेशाचार्य' कहलाती।"
2. "जब किसी तरह न रहा गया तो उसके जबरा को धीरे से उठाया और उसके सिर को थपथपाकर उसे अपनी गोद में सुला लिया। कुत्ते की देह से जाने कैसी दुर्गंध आ रही थी, पर वह उसे अपनी गोद में चिपटाये हुए ऐसे सुख का अनुभव कर रहा था, जो इधर महीनों से उसे न मिला था। जबरा शायद यह समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है, और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उसे कुत्ते के प्रति घृणा की गंध तक न थी।"
3. " वह घर में समय बिताने के लिए संगीत और चित्रकला का अभ्यास करती थी। हम लोग पहुँचते तो उसके कमरे से सितार की आवाज आ रही होती या वह रंग और कूचियाँ लिए किसी तस्वीर में उलझी होती। मगर जब वह इन दोनों में से कोई भी काम न कर रही होती तो अपने तख्त पर बिछे मुलायम गद्दे पर दो तकियों के बीच लेटी छत को ताक रही होती। उसके गद्दे पर जो झीना रेशमी कपड़ा बिछा रहता था, उसे देखकर मुझे बहुत चिढ़ होती थी। मन करता था कि उसे खींचकर बाहर फेंक दूँ। उसके कमरे में सितार, तबला, रंग, कैनवस, तस्वीरें, कपड़ें तथा नहाने और चाय बनाने का सामान इस तरह उलझे-बिखरे रहते थे कि बैठने के लिए कुर्सियों का उद्धार करना एक समस्या हो जाती थी।”
खंड-2
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए।
4. कहानी को परिभाषित करते हुए कहानी कि प्रमुख तत्वों का उल्लेख कीजिए ।
5. बाबा भारती एवं डाकू खड़कसिंह की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए ।
6. 'पूस की रात को यथार्थवादी कहानी क्यों कहा गया है? स्पष्ट कीजिए ।
खंड-3
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए ।
(क) नयी कहानी नामकरण और विवाद
(ख) भूमंडलीकरण और हिंदी कहानी
IGNOU BHDC-110 (July 2022 - January 2023) Assignment Questions
खंड-1
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
1. चार दिन तक पलक नहीं ऑपी। बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही। मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाए। फिर सात जर्मनों को अकेला मारकर न लौटूं, तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकना नसीब न हो।
2. "हिरामन का बहुत प्रिय गीत है यह। महुआ घटवारिन गाते समय उसके सामने सावन-भादों की नदी उमड़ने लगती है. अमावस्या की रात और घने बादलों में रह-रह कर बिजली चमक उठती है। उसी चमक में लहरों से लड़ती हुई बारी-कुमारी महुआ की झलक उसे मिल जाती है। सफरी मछली की चाल और तेज हो जाती है। उसको लगता है. वह खुद सौदागर का नौकर है। महुआ कोई बात नहीं सुनती। परतीत करती नहीं। उलट कर देखती भी नहीं और थक गया है, तैरते-तैरते।"
3. ट्रकें अब तक भर चुकी थीं। शाहनी अपने को खींच रही थी। गाँव वालों के गलों में जैसे धुआँ उठ रहा है। शेरे, खूनी शेरे का दिल टूट रहा है। दाउद खाँ ने आगे बढ़कर ट्रक का दरवाजा खोला, शाहनी बढ़ी, इस्माइल ने आगे बढ़कर भारी आवाज से कहा, शाहनी, कुछ कह जाओ। तुम्हारे मुँह से निकली असीस झूठ नहीं हो सकती।" और अपने साफे से आँखों का पानी पोंछ लिया। शाहनी ने उठती हुई हिचकी को रोककर ऊँचे-ऊँधे से कहा, "रब तुहानू सलामत रक्खे बच्चा, खुशिया बक्शे...."
खंड-2
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए।
4. हिंदी कहानी के विभिन्न आंदोलनों पर प्रकाश डालिए।
5. आजादी के बाद के सपनों का भारत कैसा था? 'दोपहर का भोजन' कहानी के आधार पर समझाइए।
6. 'पिता' कहानी का प्रतिपाद्य लिखिए।
खंड-3
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए।
(क) नयी कहानी : नामकरण और विवाद
(ख) 'पूस की रात' कहानी की सार्थकता
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